कभी रुलाए गले लगा कर कभी हँसाए ये गुदगुदा कर ये चलते फिरते हसीन साए नज़र में अपनी जगह बनाए हैं ज़िंदगी में वो अपने शामिल सफ़र में जैसे निशान-ए-मंज़िल मधुर मधुर सी है रागनी सी है ढलते चंदा की चाँदनी सी गई बहारों से रूप ले कर चमन से लाए महक चुरा कर हैं सरसराते महकते आँचल थमे थमे से हसीन कुछ पल ऐ याद-ए-माज़ी ये तेरे मंज़र जो वक़्त गुज़रे तो वो भी देखे ठहर ठहर कर