मुझे यक़ीं है कि तुम कौन मेहंदी से जब मेरे अदू का नाम अपनी ख़ूबसूरत कलाई पर लिखोगी तो मेरा ख़याल आते ही आख़िर एक दिन उस मनहूस के नाम पर ख़ुद ही बड़ा सा काँटा लगा दोगी और दूसरी कलाई पर मेरा नाम लिख कर उसे देर तक चूमती रहोगी मैं उस लम्हे के इंतिज़ार में मुतबादिल कलाइयों की जानिब से मौसूला हज़ारों दिल-पज़ीर आफ़रीं मुसलसल मुस्तरद किए जा रहा हूँ क्यूँकि दुनिया उम्मीद पर क़ाएम है