प्रेम जगत के रहने वालो प्रेम से रिश्ता जोड़ो हृदय है प्रभू का डेरा उसे कभी न तोड़ो उल्टी गंगा बहती है बहने दो उस को छोड़ो अपने जीवन धारा को तुम सीधे रुख़ पर मोड़ो करम करेगा जो अच्छा अच्छाई पे वो मरेगा और बुरा कोई जो करेगा वैसा ही वो भरेगा पुन क्या है जो भी किसी ने उस को तो वो मिलेगा बाग़ में उस के जीवन के वो बन कर फूल खुलेगा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब हैं भाई भाई भा नहीं सकती कभी किसी को इक-दूजे की जुदाई आज है रक्षा-बंधन का दिन है ये कितना सुहाना भाई-बहन के प्रेम का ये दिन सब को सुनाए फ़साना शीला ने अरशद की ले ली जा के हाथ में कलाई फिर ये बोली रक्षा-बंधन आज ही है मिरे भाई प्यार भरा ये हाथ जो रख दो सर पर आज हमारे हर दुख हर ग़म दूर हो जाए ख़ुशियाँ आए द्वारे प्यार ही पूजा प्यार इबादत प्यार से रिश्ता जोड़ो हर दुख हर ग़म दूर हो जाए ख़ुशियाँ आए द्वारे ज़ैनब भी राहुल के हाथ में बाँध के बोली राखी दुख-संकट के सागर की नय्या का तू है माझी पवित्र प्रेम का जग में देखो कैसा ये उपहार है इसी प्यार और प्रेम से भय्या सुख-मय ये संसार है कभी किसी भी बहन पे भय्या संकट आ नहीं पाए फूल न हरगिज़ कभी किसी की ख़ुशियों के मुरझाए सीता गीता शबनम शाहीं में है भेद न भाव चारों का है एक चरित्र और सब का एक सुभाव बूँद लहू की एक रगों में तन भी एक समान प्रेम पाठ पढ़ाया सब ने गीता हो या पुराण हो हर दिन रक्षा-बंधन का सब प्रेम की जोत जलाएँ प्रेम की ख़ुश्बू से महके घर आँगन चारों दिशाएँ