ये प्यारी उर्दू कि जिस का नहीं है कोई बदल हसीन ऐसी है जैसे जमाल-ए-ताज-महल हर एक देस-निवासी ने पाई ये मीरास वो राम हो कि करम सिंह हो या कि मीर-ग़ियास है मस्जिदों में मुक़द्दस पवित्र मंदिर में हर इक गली में चलन और गुज़र है हर घर में वो जो कि बोलते हैं भाँत भाँत की बोली तो सुनिए उन से भी उर्दू जम्अ' हो जब टोली कहीं भी जाइए उर्दू ज़रूर पाएँगे समझने बोलने वाले तो मिल ही जाएँगे अदब में शेर में ऊँचा मक़ाम है इस का समाज के सभी शोबों में नाम है इस का ज़वाल इस को कभी आए ग़ैर मुमकिन है दिलों से महव ये हो जाए ग़ैर मुमकिन है है इस के नूर से रौशन समाज की दुनिया इसी के दम से है आबाद राज की दुनिया रहेगा क़ाएम-ओ-दाएम मुदाम दुनिया में चलेगा सिक्का-ए-उर्दू तमाम दुनिया में जो ज़िंदा रहने को आए वो कैसे हो बर्बाद 'असद' लगाओ ये ना'रा कि उर्दू ज़िंदाबाद