सारी ज़बाँ से प्यारी उर्दू ज़बाँ हमारी फूलों की अंजुमन सी तारों भरे गगन सी बजते सितार जैसी है आबशार जैसी अल्फ़ाज़ में रवानी दरिया का जैसे पानी ख़ुशबू की कान है ये मीठी ज़बान है ये कोयल जो कूकती है उर्दू ही बोलती है हैं हर्फ़ हर्फ़ ऐसे तितली के रंग जैसे करते हैं लोग जादू जब बोलते हैं उर्दू सब की समाअतों पर झड़ती है फूल बन कर सारी ज़बाँ से प्यारी उर्दू ज़बाँ हमारी