उसे कहना By Nazm << काली बारिश बंद हवेली >> ख़िज़ाँ के ज़र्द पत्तों का कोई साया नहीं होता बहुत बे-मोल हो कर जब ज़मीं पर आन गिरते हैं तो यख़-बस्ता हवाएँ भी उन्ही को ज़ख़्म देती हैं उसे कहना कि मुझ को भूल कर बे-मोल न करना Share on: