रात भर ख़्वाब अंदर आप अपने को बंद कमरे के कोने में नुक़्ता-ए-आग़ाज़ से जुड़ा ठंडे सीम-ज़दा फ़र्श पर हालत-ए-तशन्नुज और नज़्अ' दरमियान रौशनी इंतिज़ार में देखा बाँग बे-वक़्त ख़्वाब टूटने पर शोशे के फ़र्क़ से ख़्वाब की ता'बीर को सच पाया अपने आप को अपने वतन में पाया