वक़्त को नाप लें By Nazm << भोली-भाली चिड़िया उजले मौसमों के लोग >> वक़्त को नाप लें देख लें किस के चेहरे पे परछाईं है शाम की जैसे जैसे ये शामें गुज़रती हैं हम पुल से पुल झाँकते उस नदी के सिरे को गँवाते चले जा रहे हैं अजब तरह लोग अपने अपने ख़यालों को जिस्मों में बाँटे हुए हैं ख़यालों को जिस्मों में बाँटूँ कि ढालूँ Share on: