वापसी By Nazm << अपनी पहचान तेरी तस्वीर >> निशात-ओ-कैफ़ के नग़्मे ख़ला में डूब गए ज़मीं की आँख लगी आसमाँ हुआ बेदार गुलों का ख़ून हुआ ख़ार मुस्कुराने लगे चराग़ महफ़िल-ए-हस्ती के टिमटिमाने लगे दिलों को चीर गई इक उदास तारीकी तख़य्युलात के सूरज बुझे तो राख हुए Share on: