अजब लड़की है वो लड़की जिसे मुझ से मोहब्बत है बिना देखे हुए मुझ को गुज़रता दिन नहीं जिस का जो रातों में मिरी ख़ातिर बहुत बेचैन रहती है जो मेरे जागने से पहले पहले जाग जाती है सलीक़े और तरीक़े से मिरी हर चीज़ रखती है मैं ऑफ़िस के लिए निकलूँ मुझे वो कोट पहनाए मैं वापस आऊँ ऑफ़िस से मुझे देखे तो उस को चैन आता है यक़ीनन ख़ुद से बढ़ कर मुझ को पगली प्यार करती है लबों पर लम्स की ख़ातिर बहुत बेताब रहती है ये मेरा मुंतज़िर रहना कोई आदत सी लगती है कि जैसे लम्स में दुनिया की सब ख़ुशियाँ मुक़य्यद हों मुझे पाने की ख़ातिर वो बहुत बेताब रहती है जिसे पाने की ख़ातिर मैं बहुत बेताब रहता हूँ वो लड़की वो अजब लड़की मिरे ख़्वाबों में बस्ती है