टूट-बटूट गया बाज़ार By बाल कविता, Nazm << वो लड़की काश >> टूट-बटूट गया बाज़ार ले कर आया मुर्ग़े चार हर मुर्ग़े की इक इक मुर्ग़ी हर मुर्ग़ी के अंडे चार हर अंडे में दो दो चूज़े हर चूज़े की चोंचें आठ हर इक चोंच में छे छे लड्डू हर लड्डू के दाने साठ कितने दाने बन गए यार जल्दी जल्दी करो शुमार Share on: