याद By Nazm << उम्मीद वो एक मंशूर है >> बरसों पुरानी ख़ाक में हम अपनी मीरास ढूँड रहे हैं वो बुत जिन को टूटे सदियाँ बीत चुकी हैं जाने क्यों अब भी पूजे जाते हैं Share on: