सुनो ये याद रखने का हुनर आसाँ नहीं होता मुझे तुम याद हो और मेरी हर हर साँस में बस कर मशाम-ए-जाँ मोअ'त्तर कर रही हो ठीक है लेकिन भला वो कौन था जिस ने तुम्हें पहले-पहल चाहा वो मेरा इश्क़ था मैं था वो शायद मैं ही था लेकिन नहीं है याद अब कुछ भी सुनो ये याद रखने का हुनर आसाँ नहीं होता किसी को याद रखने में बहुत कुछ भूल जाना ही तो पड़ता है