तह By Nazm << याद रखने का हुनर ख़्वाब-फ़रोश >> हम डूब के गहराई में तरब की फैलते देखते हैं क़ब्ल अज़ीं फ़हमीदा इन रंगों को जिन में ख़ुद को हम पे हमारे ग़म ज़ाहिर करते हैं गम्भीर ख़मोशी की तह में आग़ोश-ए-कुशादा में लेती हम को एक दरख़्शाँ तारीकी होती है Share on: