याद By Nazm << कच्चे रंगों का मौसम साथी >> रात इक लड़खड़ाते झोंके से ना-गहाँ संग-ए-सुर्ख़ की सिल पर आइना गिर के पाश पाश हुआ और नन्ही नुकीली किरचों की एक बोछाड़ दिल को चीर गई Share on: