किस से पूछिए जा कर क्यों बिगड़ गए बच्चे आतिशीं खिलौनों से खेलने लगे बच्चे कुछ नए तक़ाज़े हैं इस नए ज़माने के अब कहाँ मचलते हैं चाँद के लिए बच्चे खो गए तअ'स्सुब के बे-कराँ अँधेरों में शहर की फ़ज़ाओं में मेरे गाँव के बच्चे दो-घड़ी लड़ाई है फिर वही सफ़ाई है हम बड़ों से अच्छे हैं बे-शुऊर से बच्चे इक क़दम भी फिर आगे मैं न चल सका 'शाहिद' जब कड़ी मसाफ़त में याद आ गए बच्चे