यादें By Nazm << इश्क़ आँखें उँगलियाँ और दिल >> यादें गबन सी अटकी हैं साँसों में जैसे एक साथ जम कर बम सा फटेगा और भर देगा इस ख़ामोश कमरे को ज़र्रा ज़र्रा अँधेरे का न आएगा यादों से मेरे तो फिर होगी रौशनी इस कमरे में फिर जलेंगे दिए Share on: