पिछले दो तीन साल से अक्सर घर में इक इश्तिहार देखता हूँ जिस में लिखा है ये जो हैं तीन लफ़्ज़ अंग्रेज़ी आज तक ये समझ में आ न सका हैं ख़ुदा के लिए कि मेरे लिए मैं तो मफ़्हूम उन का पा न सका क्या ख़ुदा देखता है ज़ी टी वी रोज़ जब रात घर पहुँचता हूँ सूनी जेबों को मैं टटोलता हूँ मेरी बीवी की आँखें पूछती हैं आज भी ज़िंदगी ने कम ही दिया लो तुम्हारी ये नींद की गोली इक नई नज़्म कह के सो जाओ