अभी चीड़ के जंगलों से गुज़रना बहुत जाँ-फ़ज़ा है कई मील के बाद बर्फ़ीले तूदों का सहरा मिलेगा जहाँ सर्द पुरवाइयों के थपेड़े थिरकते मिलेंगे उमूदी ढलानों का इक सिलसिला भी मिलेगा अचानक जिसे पार करने की धुन में तुम्हें अपने सब साथियों को गलाना पड़ेगा हसीं दरौपदी और तुम्हारे जरी भाइयों की जमाअत इन्हीं बर्फ़-ज़ारों का हिस्सा बनेगी मगर ये भी होगा युधिष्ठिर! तुम्हारा वफ़ादार कुत्ता तुम्हारे अक़ब में ब-सद-शौक़ हर वक़्त चलता रहेगा मुख़ालिफ़ फ़ज़ा में तुम्हारी ही धड़कन का हिस्सा रहेगा उसे यख़ जहन्नम नहीं छू सकेगा तुम्हारे जरी भाइयों की वजाहत तुम्हारी हसीं दरौपदी की मलाहत तुम्हारे वफ़ादार कुत्ते के आगे पशीमाँ रहेगी