ताला क़ुफ़्ल By बाल कविता, Paheli << खरबूज़ अनार >> दर पे लगे तो दिखाई पड़े मुँह पे लगे तो सुझाई न दे दम साधे क्यों बैठो यारो हिम्मत हो तो खोल उतारो Share on: