अभी से लुत्फ़-ओ-मुरव्वत का एहतिमाम न कर By अदा, हुस्न, Qita << लफ़्ज़ चुनता हूँ तो मफ़्ह... ग़म की रातों के ख़्वाब ला... >> अभी से लुत्फ़-ओ-मुरव्वत का एहतिमाम न कर नज़र को तीर लबों को अभी से जाम न कर अभी न शाने से ढलका तू रेशमी आँचल हसीन शाम है ऐसे में क़त्ल-ए-आम न कर Share on: