इस राज़ से वाक़िफ़ नहीं 'अफ़ज़ल' ये ज़माना Admin हिंदी कविता ग़ज़ल शायरी On Facebook, Qita << जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ु... इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को ... >> इस राज़ से वाक़िफ़ नहीं 'अफ़ज़ल' ये ज़माना अश्कों के समुंदर में जज़ीरा है ग़ज़ल का इस टूटे हुए दिल की हक़ीक़त मैं बनाऊँ क़िबला है ग़ज़ल का यही का'बा है ग़ज़ल का Share on: