दावर-ए-हश्र मुझे तेरी क़सम By Qita << कत्थई आँखों वाली इक लड़की मुजरिम-ए-सरताबी-ए-हुस्न-ए... >> दावर-ए-हश्र मुझे तेरी क़सम उम्र भर में ने इबादत की है तू मिरा नामा-ए-आमाल तो देख मैं ने इंसाँ से मोहब्बत की है Share on: