दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है By Qita << एक सब्र-आज़मा जुदाई है दिल तो रोए मगर मैं गाए जा... >> दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है मोहब्बत आहें भरती है तमन्नाएँ तरसती हैं कोई देखे भरी बरसात की रातों में हाल अपना घटा छाई हुई होती है और आँखें बरसती हैं Share on: