दोपहर होने को है सन्ना गया जंगल तमाम By Qita << और कुछ दैर अभी ठहर जाओ दिल टुक उधर न आया ईधर से ... >> दोपहर होने को है सन्ना गया जंगल तमाम इक किरन शाख़ों से छन कर आ रही है फूल पर जिस तरह इक गाँव की दोशीज़ा-ए-मासूम पर शहर के बे-ग़ैरत-ओ-बे-मेहर इंसाँ की नज़र Share on: