इक ऐसा वक़्त भी आता है चाँदनी शब में By बेख़ुदी, इंतिज़ार, Qita << बाक़ी है कोई साथ तो बस एक... आज पनघट पर इस तरह थी भीड़ >> इक ऐसा वक़्त भी आता है चाँदनी शब में मिरा दिमाग़ मिरा दिल कहीं नहीं होता तिरा ख़याल कुछ ऐसा निखर के आता है तिरा विसाल भी इतना हसीं नहीं होता Share on: