इक बे-वफ़ा से अहद-ए-वफ़ा कर के आए हैं By Qita << आज तंहाई किसी हमदम-ए-देरी... उसी अदा से उसी बाँकपन के ... >> इक बेवफ़ा से अहद-ए-वफ़ा कर के आए हैं अब आ के सोचते हैं ये क्या कर के आए हैं 'नासिर' जो दिल में था वो ज़बाँ पर न आ सका उस से भी ज़िक्र-ए-आब-ओ-हवा कर के आए हैं Share on: