इक नई नज़्म कह रहा हूँ मैं By Qita << रंग ओ बू-ए-गुलाब कह लूँगा जा रहा था हरम को मैं लेकि... >> इक नई नज़्म कह रहा हूँ मैं अपने जज़्बात की हसीं तफ़्सीर किस मोहब्बत से तक रही है मुझे दूर रक्खी हुई तिरी तस्वीर Share on: