फूल ख़ुद अपने हुस्न में गुम है By Qita << सो गए अंजुम-ए-शब याद न आ हाए ये तेरे हिज्र का आलम >> फूल ख़ुद अपने हुस्न में गुम है उस को कब चाहने की फ़ुर्सत है आओ काँटों से दोस्ती कर लें जिन को हमदर्द की ज़रूरत है Share on: