गह सरगुज़िश्त उन ने फ़रहाद की निकाली By Qita << काश हम लोग लड़ गए होते लुत्फ़-ए-नज़्ज़रा है ए दोस्... >> गह सरगुज़िश्त उन ने फ़रहाद की निकाली मजनूँ का गाहे क़िस्सा बैठा कहा करे है एक आफ़त-ए-ज़माँ है ये 'मीर' इश्क़-पेशा पर्दे में सारे मतलब अपने अदा करे है Share on: