गरचे है मुश्त-ए-ग़ुबार आदम ओ हव्वा का वजूद By Qita << मय-कशी का शबाब बाक़ी है दुनिया से 'ज़ौक़'... >> गरचे है मुश्त-ए-ग़ुबार आदम ओ हव्वा का वजूद उन की रिफ़अत पे बरसते हैं सितारों के सुजूद लाला-ओ-गुल तो फ़क़त नक़्श-ए-क़दम हैं उस के अस्ल में ख़ाक की मेराज है इंसाँ की नुमूद Share on: