हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा By हौसला, Qita << जन्नत ओ कौसर ओ अफ़रिश्ता ... जो पैरहन में कोई तार मोहत... >> हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा हम कई रूप धार लेते हैं ज़िंदगी के उदास लम्हों को मुस्कुरा कर गुज़ार लेते हैं Share on: