हो कर दुनिया से बेगाना By याद, Qita << जो पैरहन में कोई तार मोहत... मेरी ग़मगीन ओ ज़र्द सूरत ... >> हो कर दुनिया से बेगाना देख रहा था शहद के छत्ते आग लगाने आ पहुँचे हैं तेरी याद के सूखे पत्ते Share on: