जाम-ए-इशरत का एक घोंट नहीं By ज़िंदगी, Qita << जिस तरह ख़्वाब के हल्के स... मय-ख़ानों की रौनक़ हैं कभ... >> जाम-ए-इशरत का एक घूँट नहीं तल्ख़ी-ए-आरज़ू की मीना है ज़िंदगी हादसों की दुनिया में राह भोली हुई हसीना है Share on: