जिस तरह ख़्वाब के हल्के से धुँदलके में कोई By Qita << मरमरीं मरक़दों पे वक़्त-ए... जाम-ए-इशरत का एक घोंट नही... >> जिस तरह ख़्वाब के हल्के से धुँदलके में कोई चाँद तारों की तरह नूर सा बरसाता है हाँ यूँही मेरे तसव्वुर के गुलिस्तानों में फूल खिल जाते हैं जब तेरा ख़याल आता है Share on: