ज़िंदगी की दराज़ पलकों पर By Qita << तू ने ख़ुद तल्ख़ बना रक्ख... तू नहीं है न सही तेरी मोह... >> ज़िंदगी की दराज़ पलकों पर रास्ते का ग़ुबार छाया है आब-ए-कौसर से आँख को धो ले मै-कदा फिर क़रीब आया है Share on: