जिस्म को छोड़ के रूदाद हुए जाते हैं Admin Qita << क्या बूद-ओ-बाश पूछो हो पू... हंगामा-ए-हस्ती से इक साथ ... >> जिस्म को छोड़ के रूदाद हुए जाते हैं अपनी ही मौत पे हम शाद हुए जाते हैं बात ये क्यों नहीं है जश्न मनाने की कहो हिज्र की क़ैद से आज़ाद हुए जाते हैं Share on: