कहीं दरिया कहीं वादी कहीं कोहसार बनी By Qita << मायूस हो गई है दुआ भी जबी... मैं ने लौह-ओ-क़लम की दुनि... >> कहीं दरिया कहीं वादी कहीं कोहसार बनी कहीं शोला कहीं शबनम कहीं गुलज़ार बनी ख़ाक इक शक्ल से सौ शक्ल में तब्दील हुई कहीं अल्मास कहीं गौहर-ए-शहवार बनी Share on: