क़स्र उम्मीदों के कुछ हम ने बनाए थे कभी Admin Qita << साज़ पर मश्क़ कर के साज़-... प्यार कमज़ोर हो तो हिज्र ... >> क़स्र उम्मीदों के कुछ हम ने बनाए थे कभी लम्हे इशरत के भी कुछ हम ने चुराए थे कभी दिल के तारों पे है अब याद की पैहम ज़रबें खो गए गीत कहाँ हम ने जो गाए थे कभी Share on: