प्यार कमज़ोर हो तो हिज्र में मिट जाता है Admin दीवानगी पर शायरी, Qita << क़स्र उम्मीदों के कुछ हम ... पर्दा-ए-माज़ी पे सूरत जो ... >> प्यार कमज़ोर हो तो हिज्र में मिट जाता है और दीवानगी-ए-इश्क़ चमक उठती है जिस तरह तेज़ जब आँधी के हैं आते झोंके बुझती है शम्अ' मगर आग भड़क उठती है Share on: