माह-ओ-अंजुम के सर्द होंटों पर By Qita << मैं ने माना तिरी मोहब्बत ... जन्नत ओ कौसर ओ अफ़रिश्ता ... >> माह-ओ-अंजुम के सर्द होंटों पर हम-नशीं तज़्किरा है सदियों का जाम उठा और दिल को ज़िंदा रख आसमाँ मक़बरा है सदियों का Share on: