मैं मोअल्लिम हूँ कि तदरीस है मेरा शेवा By Qita << सनसनाती हुई हवा की तरह रो रहा था गोद में अम्माँ ... >> मैं मोअल्लिम हूँ कि तदरीस है मेरा शेवा ना-मोहज़्ज़ब को मैं तहज़ीब की ज़ौ देता हूँ मेरी हस्ती है 'ज़िया' ख़ल्क़ ओ मुरव्वत का चराग़ मैं ज़माने को नए अज़्म की लौ देता हूँ Share on: