मौत को जानते हैं अस्ल-ए-हयात-ए-अबदी By Qita << साहिल पे इक थके हुए जोगी ... रफ़ीक़-ए-राह थी मंज़िल हर... >> मौत को जानते हैं अस्ल-ए-हयात-ए-अबदी ज़िंदगानी को मगर ख़ार-अो-ज़बूँ कहते हैं ''अगले वक़्तों के हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो'' जो ज़माने को तसव्वुर का फ़ुसूँ कहते हैं Share on: