'मीर' को ज़ोफ़ में मैं देख कहा कुछ कहिए By Qita << यूँ तो अक्सर ख़याल आता था तुझे पाया कि तुझ को खो दि... >> 'मीर' को ज़ोफ़ में मैं देख कहा कुछ कहिए है तुझे कोई घड़ी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार हनूज़ अभी इक दम में ज़बाँ चलने से रह जाती है दर्द-ए-दिल क्यूँ नहीं करता है तू इज़हार हनूज़ Share on: