मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही Admin मनपसंद शायरी, Qita << न तेरे दर्द के तारे ही अब... मिरी गली में ये आहट थी कि... >> मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही फ़ज़ा-ए-दर्द-ए-तमन्ना को रास आ न सकी ख़ुशी उफ़ुक़ पे खड़ी देखती रही मुझ को उसे बुला न सका, ख़ुद वो पास आ न सकी Share on: