मुझ को इन अर्ज़ी ख़ुदाओं ने अगर लूटा है Admin खामोश पर शायरी, Qita << नींद उड़ जाएगी रातों को श... दिल-ए-वीराँ को अब की बार ... >> मुझ को उन अर्ज़ी ख़ुदाओं ने अगर लूटा है क्या ये सच है कि मशिय्यत भी रही दोश-ब-दोश दब के रह जाती है हर आह-ओ-बुका अज़्मत में कौन जाने कि ख़ुदा किस लिए बैठा है ख़मोश Share on: