मुतमइन कोई नहीं है उस से By ज़िंदगी, Qita << दिल रहीन-ए-ग़म-ए-जहाँ है ... बैठी सखियों के घेरे में द... >> मुतमइन कोई नहीं है उस से कोई बरहम है तो ख़ाइफ़ कोई नहीं करती ये किसी से भी वफ़ा ज़िंदगी है कि तवाइफ़ कोई Share on: