पैरो-कारी चापलूसी काले धन का ज़ोर है By Qita << लुत्फ़-ए-नज़्ज़रा है ए दोस्... जहाँ आसाँ था दिन को रात क... >> पैरो-कारी चापलूसी काले धन का ज़ोर है कोई रिश्वत-ख़ोर है तो कोई आदम-ख़ोर है इक से बढ़ कर एक चालू है जहाँ में आज-कल बाप अण्डा-चोर है तो बेटा मुर्ग़ी-चोर है Share on: