पार उतरा हूँ किस क़रीने से By Qita << सामने दुख़्तर-ए-बरहमन है ओ हसरत-ए-विसाल न देख इस त... >> पार उतरा हूँ किस क़रीने से मौज उठा ले गई सफ़ीने से आँसुओ क्या बनेगा पीने से जी ही उकता गया है जीने से Share on: