सामने दुख़्तर-ए-बरहमन है By Qita << सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अम... पार उतरा हूँ किस क़रीने स... >> सामने दुख़्तर-ए-बरहमन है आज औसान का ख़ुदा हाफ़िज़ जान देने से हिचकिचाता हूँ मिरे ईमान का ख़ुदा हाफ़िज़ Share on: